Madhya Pradesh

जबलपुर:अमित खरे की गुंडागर्दी, झूठे रसूख और फर्जीवाड़े का नया खुलासा, स्मार्ट सिटी अस्पताल:पार्टनरशिप के नाम पर लाखों की ठगी!

अमित खरे की गुंडागर्दी, झूठे रसूख और फर्जीवाड़े का नया खुलासा, स्मार्ट सिटी अस्पताल:पार्टनरशिप के नाम पर लाखों की ठगी!

जबलपुर। स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर फर्जीवाड़ा और ठगी का अड्डा बन चुका स्मार्ट सिटी अस्पताल और इसके स्वयंभू भाजपा नेता संचालक अमित खरे का एक और काला खेल सामने आया है। खरे ने शहर के कई नामचीन और प्रतिष्ठित पेशों से जुड़े लोगों को पार्टनर बनाने का झांसा देकर लाखों रुपये हड़प लिए। पीड़ितों को 50-50 हजार रुपये के चैक देकर विश्वास दिलाया गया, लेकिन न तो अस्पताल से होने वाले मुनाफे की कोई जानकारी दी और न ही उनकी मूल रकम लौटाई गई। उल्टा जब लोग अपना हक मांगने पहुंचे, तो खरे ने अपने राजनीतिक रसूख और गुंडागर्दी का हवाला देकर उन्हें धमकाया।

दर्जनभर से ज्यादा लोग बने शिकार-
हरिभूमि की पड़ताल में सामने आया कि करीब एक दर्जन से अधिक लोग इस धोखाधड़ी के शिकार बने हैं। सभी जल्द ही एसपी से मिलकर लिखित शिकायत करेंगे और खरे द्वारा दिए गए चैक व ज्यादती की दास्तां सामने रखेंगे। यानी अब खरे का यह काला कारोबार सिर्फ अफवाह नहीं बल्कि दस्तावेज़ी सबूतों के साथ उजागर होने जा रहा है।

डॉक्टर और लैब टेक्नीशियन की भी रकम हड़पी-
खरे का फर्जीवाड़ा यहीं खत्म नहीं होता। कोरोना काल से लेकर अब तक उसने निजी अस्पतालों के डॉक्टरों और लैब टेक्नीशियन की सेवाएं तो लीं, लेकिन उनकी मेहनताना रकम भी दबा गया। यह रवैया साफ करता है कि खरे का धंधा मरीजों के साथ ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े पेशेवरों को ठगने पर भी टिका है।

रेत माफिया की पार्टी में हवाई फायर, पिस्टल ज़ब्त-
कुछ माह पहले खरे का आपराधिक चेहरा तब उजागर हुआ जब उसने एक रेत माफिया के जन्मदिन समारोह में खुलेआम हवाई फायरिंग की। इसका वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। पुलिस ने खमरिया थाने में प्रकरण दर्ज कर उसकी लाइसेंस पिस्टल भी जब्त कर ली थी। यह घटना बताती है कि खरे किस तरह खुद को कानून से ऊपर मानकर चलता है।

बीमा कंपनी से भी फर्जीवाड़े की कोशिश-
इतना ही नहीं, खरे ने बीमा कंपनी निवाबुफा को यह कहकर चूना लगाने की कोशिश की कि इलाज करने वाला डॉक्टर विक्टोरिया अस्पताल में पदस्थ है। लेकिन जब कंपनी के अधिकारी सीधे डॉक्टर तक पहुँचे, तो सारा खेल उजागर हो गया। डॉक्टर ने मरीज और फाइल देखकर फर्जीवाड़े को सिरे से खारिज कर दिया। बीमा कंपनी खुद हैरत में रह गई कि किस तरह से खरे सरकारी डॉक्टरों का नाम तक बेचकर क्लेम हथियाने की साजिश कर रहा था।

निर्णायक कार्रवाई की मांग-
अमित खरे पर फर्जी एमएलसी, बीमा क्लेम हड़पने और गुंडागर्दी जैसे गंभीर आरोप पहले भी लग चुके हैं। अब पार्टनरशिप के नाम पर ठगी और डॉक्टरों की रकम दबाने जैसे नए खुलासे ने उसके काले कारोबार को फिर से बेनकाब कर दिया है। सवाल यह है कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग आखिर कब तक आंख मूंदकर कब तक बैठे रहेंगे?

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